Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana (PMKSY)

परिचय:
Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। सिंचाई कृषि का एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि यह सीधे-सीधे फसल की उत्पादकता और किसानों की आय को प्रभावित करता है। भारत में अनेक क्षेत्र अभी भी वर्षा पर आधारित खेती करते हैं, जिससे किसानों को सूखे, अनियमित बारिश और जल संकट जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी पृष्ठभूमि में, प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को वर्ष 2015 में आरंभ किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य “हर खेत को पानी” पहुंचाना और “अधिक फसल – प्रति बूंद अधिक फसल” के सिद्धांत पर कार्य करना है।
Pradhan Mantri Krishi Sinchai की शुरुआत:
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को इस योजना की शुरुआत की गई थी। इसका उद्देश्य विभिन्न सिंचाई योजनाओं को एकीकृत करना और जल संसाधनों के प्रबंधन को बेहतर बनाना था।
Pradhan Mantri Krishi Sinchai के मुख्य उद्देश्य:
सिंचाई के क्षेत्र का विस्तार करना: देशभर में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना ताकि अधिक से अधिक किसान आधुनिक सिंचाई प्रणालियों का लाभ उठा सकें।
जल संसाधनों का दक्ष उपयोग: जल का कुशल और संतुलित उपयोग सुनिश्चित करना।
प्रति बूंद अधिक फसल: ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसे सूक्ष्म सिंचाई तरीकों को बढ़ावा देना।
जल संरक्षण को प्रोत्साहन: जल संचयन, वर्षा जल संचयन और पारंपरिक जल स्रोतों के पुनर्जीवन को बढ़ावा देना।
सिंचाई से वंचित क्षेत्रों में प्राथमिकता: ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देना जहाँ सिंचाई की सुविधा नहीं है या बेहद कम है।
मुख्य घटक (Components) :
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को चार मुख्य घटकों में विभाजित किया गया है:
जल स्रोत विकास (AIBP – Accelerated Irrigation Benefit Programme):
इसके अंतर्गत बड़ी सिंचाई परियोजनाएं जो लंबे समय से अधूरी पड़ी थीं, उन्हें पूरा करना।
जलागम विकास (Watershed Development):
वर्षा आधारित क्षेत्रों में जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण और भूमि सुधार की गतिविधियाँ।
सूक्ष्म सिंचाई (Per Drop More Crop):
ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा देना।
हर खेत को पानी (Har Khet Ko Pani):
सिंचाई से वंचित खेतों तक पानी पहुंचाना। इसमें नहरों का निर्माण, तालाबों का विकास, पाइपलाइन बिछाना आदि शामिल हैं।

Pradhan Mantri Krishi Sinchai की विशेषताएँ:
- यह एक समग्र (Holistic) योजना है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की भागीदारी होती है।
- विभिन्न मंत्रालयों और विभागों जैसे कृषि मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय को आपसी समन्वय के साथ काम करने की जिम्मेदारी दी गई है।
- GIS आधारित योजना निर्माण: योजना बनाने में भू-स्थानिक (GIS) और उपग्रह डेटा का उपयोग किया जाता है।
- डिजिटल निगरानी: योजना की निगरानी और मूल्यांकन के लिए डिजिटल प्लेटफार्म और मोबाइल ऐप्स का उपयोग किया जा रहा है।
वित्तीय सहायता एवं बजट:
योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारें 60:40 के अनुपात में वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। पूर्वोत्तर राज्यों और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 है।
केंद्र सरकार ने 2015 से लेकर अब तक इस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपये विभिन्न राज्यों को आवंटित किए हैं।
अब तक की उपलब्धियाँ:
- लाखों हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के दायरे में लाया गया है।
- सैकड़ों छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूर्ण किया गया है।
- लाखों किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों का लाभ मिला है।
- जल संरक्षण के लिए हजारों जलाशयों, तालाबों और चेक डैम का निर्माण किया गया है।
- वर्षा जल संचयन को बढ़ावा मिला है, जिससे भूजल स्तर में सुधार आया है।

Pradhan Mantri Krishi Sinchai की चुनौतियाँ:
- राज्यों के बीच समन्वय की कमी: कई बार राज्यों में उचित क्रियान्वयन की कमी देखी गई है।
- जागरूकता की कमी: कई किसान अभी भी सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों से अनभिज्ञ हैं।
- वित्तीय संसाधनों की सीमाएं: कुछ क्षेत्रों में परियोजनाएं धनाभाव के कारण अधूरी रह जाती हैं।
- भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी: कुछ जगहों पर योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता की कमी पाई गई है।
समाधान और सुझाव:
- किसानों को प्रशिक्षण देना: उन्हें ड्रिप, स्प्रिंकलर जैसे सिस्टम की जानकारी देना।
- लोकल स्तर पर निगरानी: ग्राम पंचायत या स्थानीय निकायों को योजना निगरानी में शामिल करना।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी: PPP मॉडल को अपनाकर तेजी से योजना क्रियान्वयन किया जा सकता है।
- डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग: पारदर्शिता और निगरानी के लिए मोबाइल ऐप्स और पोर्टल्स का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना एक दूरदर्शी और आवश्यक पहल है जो भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह योजना न केवल जल संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करती है,
बल्कि किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादकता को सुधारने की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। अगर इस योजना को सुचारू रूप से और पारदर्शी ढंग से लागू किया जाए तो यह भारत को “जल समृद्ध – कृषि समृद्ध” राष्ट्र बना सकती है।
Pradhan Mantri Krishi Sinchai (PMKSY) – प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) क्या है?
उत्तर: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एक केंद्र सरकार की योजना है, जिसका उद्देश्य देश में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना और “हर खेत को पानी” उपलब्ध कराना है।
प्रश्न 2: यह योजना कब शुरू की गई थी?
उत्तर: यह योजना 1 जुलाई 2015 को शुरू की गई थी।
प्रश्न 3: इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
- कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता बढ़ाना।
- जल संसाधनों का कुशल प्रबंधन करना।
- “पानी की हर बूंद का सदुपयोग” को बढ़ावा देना।
- सूखे क्षेत्रों में सिंचाई पहुँचाना।
प्रश्न 4: इस योजना के तहत कौन-कौन सी उप-योजनाएँ शामिल हैं?
उत्तर:
- जल संसाधन मंत्रालय द्वारा – सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण और पुनरुद्धार।
- कृषि विभाग द्वारा – “प्रति बूंद अधिक फसल” घटक।
- ग्रामीण विकास विभाग द्वारा – जलग्रहण क्षेत्र विकास।
प्रश्न 5: ‘हर खेत को पानी’ का क्या मतलब है?
उत्तर: इसका मतलब है कि देश के हर किसान की ज़मीन तक सिंचाई की सुविधा पहुँचे, जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि हो।
प्रश्न 6: का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि कम पानी में अधिक उत्पादन किया जाए। इसके अंतर्गत सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों जैसे ड्रिप एवं स्प्रिंकलर का उपयोग बढ़ावा दिया जाता है।
प्रश्न 7: इस योजना के लाभ क्या हैं?
उत्तर:
- किसानों की आय में वृद्धि।
- सिंचाई की लागत में कमी।
- जल संरक्षण।
- कृषि उत्पादन में वृद्धि।
- सूखा प्रभावित क्षेत्रों को राहत।
प्रश्न 8: इस योजना को लागू करने की जिम्मेदारी किसकी है?
उत्तर: यह योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित है, लेकिन इसे राज्य सरकारों के सहयोग से ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाता है।
प्रश्न 9: क्या किसान इस योजना का लाभ ऑनलाइन ले सकते हैं?
उत्तर: हाँ, किसान PMKSY पोर्टल या अपने राज्य के कृषि विभाग की वेबसाइट के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
प्रश्न 10: इस योजना से किस प्रकार की सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा दिया जाता है?
उत्तर:
- ड्रिप सिंचाई
- स्प्रिंकलर सिंचाई
- पाइपलाइन आधारित सिंचाई प्रणाली